Bihar बिहार डोमिसाइल नीति विवाद की सुर्खियां अब और बढ़ने लगी है क्योंकि अभ्यर्थियों की मांग इस नीति के लागू होने से अब तक, सरकार के इस नीति, के खिलाफ विरोध में रहा है . लेकिन क्या आप जानते हैं डोमिसाइल नीति पर क्या है सरकार का विचार? क्या अब बिहार में दोबारा नहीं लागू होगा डोमिसाइल नीतू? सरकार का इस नीति पर क्या कहना है? चलिए इस Bihar Domicile News को पूरे विस्तार से जानते हैं क्या आखिरकार सरकार क्यों नहीं बिहार में डोमिसाइल नीति दोबारा लाना चाहते हैं. इससे सरकार क्यों घबरा रहे हैं , क्यों राजनीति का छाप डोमिसाइल नीति पर छोड़ा जा रहा है l
बिहार का गठबंधन सरकार के द्वारा प्रथम चरण के शिक्षक बहाली में इस डोमिसाइल नीति के तर्ज पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति कराई गई जिसके बाद अब तक इसी तर्ज पर बहाली हो रही है। यहां तक की चौथी चरण शिक्षक बहाली में भी इस नीति को लेकर सरकार की मंशा साफ दिखाई दे रही है की डोमिसाइल नीति के तर्ज पर ही होगी Tre4 में शिक्षकों की नियुक्ति है .
न्यूज़ 18 के प्रतिष्ठित पत्रकार रजनीश कुमार ने जब बिहार लोक सेवा आयोग के एडिशनल सेक्रेट्री से पूछा कि- बिहार के शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति पर आपका क्या विचार है आपका ,, क्या एक बड़ी आयोग होने के नाते , सरकार आपसे कुछ सलाह भी ली है? बस इतन- सी सवाल पर एडिशनल सेक्रेट्री हंसते हुए टाल दिया कि बिहार लोक सेवा आयोग का कनेक्शन डोमिसाइल नीति से नहीं है ये मुख्य रूप से सरकार का मुद्दा है और सरकार ही इस पर विचार कर सकती है एक आयोग होने के नाते बीपीएससी डोमिसाइल नीति पर जो सरकार का फरमान है उसी के आधार काम कर सकते हैं , ना कि सरकार को फरमान को हटाने को लेकर सलाह दे सकते हैं I
लेकिन बिहार के युवा पीढ़ी डोमिसाइल नीति के कट्टर विरोधी बन गए हैं सरकार के पीछे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे हैं क्योंकि डोमिसाइल नीति, एक नीति ही नहीं है,, बल्कि बिहार में फर्जीवाड़ा का सबसे बड़ा केंद्र बनते जा रहा है, क्योंकि पहले चरण दूसरे चरण के शिक्षक बहाली में हजारों की संख्या में बिहार से बाहर की फर्जी अभयर्थियों का शिक्षकों नियुक्ति की गई जानके पास न कोई उचित योग्यता थी और ना ही वह किसी तरह से इस बहाली के लिए योग्य थे फिर भी सरकार फर्जी वाले तरीके से फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी इससे बिहार के अभ्यर्थियों की उम्मीद और मुंह के दोनों ही समाप्त हो गए .
जहां एक तरफ पूरे बिहार में सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक डोमिसाइल नीति की भरी और पुरजोर विरोध चल रही है वही जब जदयू के एमएलसी नीरज कुमार से मीडिया में सवाल पूछे गए कि ,,, क्या आप डोमिसाइल नीति लागू नहीं करना चाहते हैं? बस इतनी से सवाल पर भड़क गए नीरज कुमार उन्होंने टूट-फूट जवाब में पूरे साफ संदेश देते हुए कहा कि बिहार के विभिन्न नियुक्तियां में डोमिसाइल नीति कायम रहेगा उन्होंने आगे पत्रकार से कहा कि,, क्या हमारा बेटा बेटी बिहार से बाहर नहीं जाएगी रोजगार के लिए क्या वे बिहार से बाहर रोजगार नहीं कर सकते हैं
उन्होंने केंद्र सरकार की रेलवे भर्ती का जिक्र करते हुए कहा कि क्या हमारा बेटा बेटी बिहार से बाहर जम्मू कश्मीर उत्तर प्रदेश हिमाचल प्रदेश में रेलवे में नौकरी नहीं कर रहे हैं जबकि यह केंद्र सरकार की नियुक्ति है .
अज्ञानता की प्रकोप से जूझ रहे जदयू के एमएलसी नीरज कुमार ने आगे कहा कि बिहार के बेटा बेटी भी रेलवे में नौकरी कर रहे हैं जबकि रेलवे केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली विभाग है इसका पूरा देख-रेख केंद्र सरकार ही करती है अगर कोई नियुक्ति होती है तो देश भर के अभ्यर्थी इसमें आवेदन कर सकते हैं इसमें नहीं कोई डोमिसाइल नीति होता है और ना ही इसमें किसी एक विशेष राज्य का अधिकार होता है अब इस पर विवाद खड़ा हो गया है अभ्यर्थी एलोन मस्क के पॉपुलर प्लेटफार्म ट्विटर X के हैंडल पर अब ट्रेंड चल रहे हैं I
उन्होंने आगे कहा कि भारत का संविधान एक है हर नागरिक का अधिकार है किसी भी राज्य विशेष में वे अपना रोजगार कर सकते हैं यह तो सही है लेकिन अज्ञानता की प्रकोप का लगातार शिकार रहें है जदयू के एमएलसी नीरज कुमार को यह पता नहीं है की अन्य राज्य में भी बिहार जैसी हालत नहीं है बिहार के लोग लगातार अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं आपका तो पलायन रोकने पर कोई विचार नहीं है और दूसरी ओर बिहार में बाहरी लोगों को लाकर बिहार से और बिहारी को भगाना चाहते हैं.
सरकार के सभी मंत्रियों और अधिकारियों में डोमिसाइल नीति के प्रति क्या संदेश है क्यों बिहार के युवाओं की पलायन को और बढ़ाना चाहते हैं यह हर किसी को समझ में नहीं आ रही है डोमिसाइल नीति पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार से जब सवाल पूछा गया और वन कैंडिडेट वन रिजल्ट की मांग की गई तो सुनील कुमार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया किसी बहाने इस बात से टाल दिया .
दूसरी तरफ जब त्रिपुरा लोक सेवा आयोग की तरफ से डेरी टेक्नोलॉजी और फूड टेक्नोलॉजी समिति विभिन्न पदों पर बहाली निकाली गई है और उसमें सिर्फ त्रिपुरा के मूल निवासी आवेदन कर सकते हैं तो इस पर भी अभ्यर्थियों में जोरदार आकृष है सरकार को सीधे गिरने का प्रयास कर रहे हैं और हक भी बनता है क्योंकि सरकार यह डोमिसाइल नीति ही नहीं बल्कि यह बिहारी भागो नीति है और इसे जब तक सरकार वापस नहीं लेती है बिहार के युवाओं ने भी संकल्प ले लिया है कि इस पर अंत दम तक अपना आवाज उठाते रहेंगे और सरकार को घेरते रहेंगे I
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